लेखनी प्रतियोगिता -07-Sep-2023गगन चूमती इमारत
विधा-गीत
शीर्षक- गगन चूमती इमारत
गगन चूमती खड़ी इमारत,
इनमें जीवन बसर कर रहे।
गर्मी का मौसम भारी है ,
ए०सी० से सब गुजर कर रहे।।
रूठा बचपन छूटा आँगन,
गाँव छोड़ हम शहर आ गए।
नहीं नीम की शीतल छाया,
कूलर पंखे हमें भा गए ।।
कहाँ बचा अब चौड़ा आँगन,
दो कमरों में जिए मर रहे।
गगन चूमती खड़ी इमारत,
इनमें जीवन बसर कर रहे।।
अब छत पर चंदा कब आता,
नहीं सूर्य खिड़की से झाँके।
पीर बढ़ी है मन की ऐसी,
हर धड़कन पर आए टाँके।।
नहीं स्वच्छ वायु अब मिलती,
घना प्रदूषण साँस भर रहे।
गगन चूमती खड़ी इमारत,
इनमें जीवन बसर कर रहे।।
रोगी होती निशिदिन काया,
मन भी अब तो स्वस्थ नहीं है।
जबसे बिछड़ा गाँव पुराना,
चैन अमन खो गया वहीं है।।
पानी गंदा भोजन दूषित,
श्वसन क्रिया कर आज डर रहे।
गगन चूमती खड़ी इमारत,
इनमें जीवन बसर कर रहे।।
प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
Abhinav ji
08-Sep-2023 09:44 AM
Very nice
Reply
Shashank मणि Yadava 'सनम'
08-Sep-2023 08:28 AM
वास्तविकता का सजीव वर्णन
Reply
Shashank मणि Yadava 'सनम'
08-Sep-2023 08:28 AM
बहुत ही सुंदर और बेहतरीन अभिव्यक्ति
Reply